Wednesday, November 16, 2016

नोटबंदी और नेता

८ नवम्बर २०१६ से मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद निश्चित रूप से कालेधन का संचय करने वालों के पेट में दर्द होना तो निश्चित रूप से स्वाभाविक ही है क्योंकि जिन लोगों के पास कालाधन है उनको इस समय असहनीय पीड़ा से गुजरना पड़  रहा है। जो कि यह दर्द लेने वाले भी यह लोग खुद ही हैं। अब इस दर्द की दवा  भी इन्हीं के पास है जिसे इस्तेमाल करके दर्द से बचा जा सकता है। 
 नेता तो देश के सेवक माने जाते हैं जो अनेक प्रकार से देश के नागरिकों की भलाई के लिए कार्य करने में अपने जीवन को बलिदान कर देते हैं ऐसा माना जाता है। सरकार के पक्ष में होते हुए खुद जनता की भलाई के कार्य करने का कार्य करते हैं और विपक्ष में रहते हुए सरकार से जनता से जुड़े कार्य कराने के अपना जीवन गुजार देते हैं। इसलिए शायद इनके पास काला धन तो होना ही नहीं चाहिए। 
लेकिन ऐसा दिखाई देता है कि नोटबंदी से यदि कोई परेशान है तो वह नेता ही है। माननीय राहुल जी नोटबंदी के विरोध को दर्शाने के लिए नॉट बदलवाने के लिए लाइन में लग कर जनता को उकसाने का प्रयत्त्न करते हुए दिखाई दिए। ममता जी को सबसे अधिक परेशानी हो रही है। माया बहन जी का तो शायद बहुत ही बुरा हाल है मुलायम जी भी इस कारनामे से बहुत ही मुलायम होते नज़र आ रहे है, इन सबसे बुरा हाल तो उन नेता जी का है जो केवल और केवल ईमानदारी की अलख जगाने के कारण नेता बनकर दिल्ली के मुख्य मंत्री बने। जी हाँ मैं माननीय केजरीवाल जी की ही बात कर रहा हूँ। 
निश्चित रूप से आज देश की वह ईमानदार जनता जिसका  कालेधन से कहीं से कहीं तक का कोई रिस्ता नहीं है वह निश्चित रूप से बहुत दुखी और परेशान है उसे नोट  बदलवाने के लिए बहुत बड़ी मसक्कत करनी पद रही है। लेकिन इतना सब कुछ सहने के बाद भी वह मोदी जी के इस फैसले से बहुत ही खुश नज़र आ रही है।  और हंसते हंसते हुए इस पीड़ा को झेलते हुए कह रही है कि निश्चित रूप से कुछ समय बाद इसका देश को बहुत लाभ होगा। 
अब अंत में मैं देश के इन नेताओं से पूछना चाहता हूँ कि इनके पेट में क्यों इतना दर्द हो रहा है। जबकि इस कार्य से देश के अंदर चल रहे नकली नोट अपने आप ही समाप्त हो गए जिसकी मार गरीब व्यक्तियों को ही झेलनी पड़ती थी। अब रह रह कर मेरे मन में अनेक प्रश्न उठते हैं कि जब देश की जनता इससे खुश है तो नेता क्यों परेशान है यह मामला शायद देश की जनता अच्छी तरह से समझ चुकी है अब मेरे कहने का अर्थ भी जनता समझ ही जायेगी। 
                     धन्यवाद।