Wednesday, June 24, 2015

स्वच्छता का अभियान, इससे मानव क्यों परेशान|

इसे हमारे देश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि जिस अभियान को सरकार तन, मन और धन से समर्पित होकर इस देश को स्वच्छ बनाना चाहती है उसी अभियान  को हम कोई सहयोग नहीं देते|

हम जिस प्रकार से  अपने  घर को साफ़ सुथरा रखने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते उसी प्रकार से हमें अपनी गली अपने मोहल्ले, गाँव और शहर को भी साफ़ सुथरा रखने में सहयोग देना चाहिए|

सरकार को भी इस अभियान को चलाने के लिए जनता को उत्साहित करने हेतु कोई इस प्रकार का अभियान चलाना चाहिए जैसा  मध्य प्रदेश के हरदा जिले  के कलक्टर साहब ने चलाया है| आज की ही यह खबर है कि जिला प्रशासन द्वारा खुले में शौच मुक्त गाँवों से प्राप्त होने वाले दूध की कीमत पर प्रति लीटर २५ पैसा अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि प्रदान की जायेगी| इस अभियान के तहत ३० गाँव वाले इस अभियान से जुड़ गए हैं| यह बहुत ही अच्छी बात है|

 अब सरकार को इसके साथ साथ कोई ऐसा कदम भी उठाना चाहिए कि इस प्रकार के अभियान को तोड़ने वालों को जुर्माना भी अदा करना होगा| क्योंकि मानव स्वभाव है कि बिना लालच हम कुछ नहीं करेंगे लेकिन साथ साथ बिना भय के भी कार्य संभव नहीं हो पाते|

मैं अपने देशवासियों को बताना चाहता हूँ कि अमेरिका जैसा बडा देश किस प्रकार से साफ़ और स्वच्छ रहता है| अमेरिका में सभी अपने घरों की सफाई के साथ साथ अपने मकान के चारों ओर खुली जमीन में हवादार वृक्ष लगाते हैं और घास उगाते हैं| वृक्ष भी फलदार नहीं होते हैं फिर भी वृक्ष लगाने होते हैं|

इस घास को  खाद पानी देकर पूरा ध्यान रखते हैं| घास के बडा हो जाने खुद ही मशीनों के द्वारा उसकी कटाई करके ऐसा बना कर रखते हैं कि देखने वाले को बहुत  ही सुन्दर लगता है| जिसके घर के बाहर की घास बहुत सुन्दर होती है उसको सरकार के द्वारा पारितोषिक  दिया जाता है| और यदि किसी के घर की घास की कटाई न की गयी हो तो उस पर जुर्माना भी लगाया जाता है|

अब अन्त में मैं अपने देशवासियों और देश की सरकार से भी निवेदन करना चाहता हूँ कि जब अमेरिका जैसे बड़े देश की सरकार अपने देश कि जनता के सहयोग से अपने देश को सुन्दर और साफ़ सुथरा रख सकते हैं तो हम और हमारी सरकार क्यों नहीं|

Monday, June 15, 2015

योग का विरोध क्यों |

आजकल योग को लेकर बहुत होहल्ला मचा हुआ है| केवल कांग्रेस ही नहीं बल्कि कुछ मुस्लिम नेता भी योग के खिलाफ आग उगलने पर लगे हुए हैं लेकिन क्यों? योग का सम्बन्ध किसी भी विशेष जाती, धर्म या सम्प्रदाय से नहीं है|

योग के करने पर व्यक्तिगत लाभ मिलता है| मुस्लिम समाज नवाज अदा करते हुए भी योग ही करते हैं यदि योग का सम्बन्ध केवल हिन्दुओं से ही है तो निश्चित रूप से मुस्लिम समाज को नवाज छोड़ देनी चाहिए|
कांग्रेस का तो बस एक सूत्री कार्यक्रम है मोदी जी के द्वारा किये गए कार्यों में खोट निकालने का काम| उनका इससे कोई मतलब नहीं कि यह सही है या गलत| अरे भाई जरा ध्यान से सोचो यदि योग में कोई खोट होता तो मोदी जी के आग्रह को स्वीकार करते हुए सारी दुनिया २१ जून को योग दिवस के रूप में मनाने के लिए क्यों राजी होते|

यदि हम जाति, धर्म और सम्प्रदाय से अलग हठकर विचार करें तो हमारे साधू संतों और पीर पैगम्बरों ने अपने अपने तरीके से मानव जाति को स्वस्थ रखने के लिए योग को धर्म से जोड़ा है| ताकि धर्म के डर से ही सही मानव योग करके अपने शरीर को स्वस्थ रख सके|

हिन्दू लोग प्रात: में दैनिक कार्यक्रम से निर्वर्त होकर जमीन पर बैठकर योग की मुद्रा में पूजा करते हैं| एकचित होकर ऊपरवाले का चिंतन करते हैं| समय समय पर योग के अनुसार उपवास करना चाहिए| इस प्रक्रिया को करने के लिए भी धर्म से इस प्रकार जोड़ा गया है कि लोग धर्म के अनुसार ही सही सप्ताह में एक बार उपवास रक्खें| यदि सप्ताह में भी न रख पायें तो दो सप्ताह में एक बार त्रोदसी के रूप में ब्रत रक्खें| यदि ऐसा भी न कर पायें तो महीने में एक बार ही सही पूर्णमासी के ब्रत के रूप में एक बार अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए ब्रत करें|

इसी प्रकार मुस्लिम समाज में भी योग को धर्म से जोड़ा गया है| नवाज अदा करते हुए भी अनेक प्रकार के योग करते हैं| रोजा रखना भी योग से सम्बंधित ही है| मनुष्य यदा कदा कुछ भी खाता रहता है जिसको पचाने के लिए शरीर की पेट रुपी मशीनरी कार्य करती रहती है क्या कभी सोचा है कि जिस प्रकार हम पूरे दिन कार्य करने पर थक जाते है तो विश्राम करते हैं| ठीक उसी प्रकार से पेट रुपी मशीनरी भी थकती होगी| उसको भी विश्राम मिलाना चाहिए| उसे विश्राम दिलाने के लिए ही उपवास और रोजे आदि का विधान रक्खा गया है|

अन्त में मैं सभी से आग्रह करना चाहता हूँ कि अच्छे कार्यों में कभी भी राजनीति से प्रेरित होकर रोड़ा नहीं अटकाना चाहिए| योग से पूरे मानव समाज का ही भला होगा| इसको धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए| इस प्रकार के व्यक्ति जरा ठाडे दिमाक से सोचें कि योग का विरोध क्यों?