Thursday, December 18, 2014

आंतकवाद का जहर|

आज सारा विश्व आंतकवाद की आग में झुलस रहा है| इस आंतकवाद की जड़ें पूरे विश्व में फ़ैल चुकी हैं| विश्व के सभी देश क्या हिन्दुस्तान क्या पाकिस्तान और क्या अन्य देश सबहीं किसी न किसी प्रकार से आंतकवाद को झेल रहे हैं|
पाकिस्तान में आंतकवादियों ने स्कूल  में घुस कर १३२ मासूम बच्चों सहित १४५ व्यक्तियों का क़त्ल करके जो कोहराम मचाया है उससे सारा विश्व शौक में डूब गया| आंतकवादियों के द्वारा दिए गए इस दर्द से पूरे विश्व की जनता दिल से दुखी है| इससे दुखद और दिल को दहला देने वाली घटना और क्या हो सकती है|
पाकिस्तान को अब अच्छी तरह से अच्छे बुरे का विचार करके कदम उठाने की जरुरत है| पाकिस्तान में बसने वाला आंतकवादी हाफिज सईद आज इस दुखद घटना के लिए मोदी जी को जिम्मेदार ठहरा कर आंतकवाद की आग में घी डालने जैसा काम कर रहा है जबकि सारा संसार जान चुका है कि इस घटना की जिम्मेदारी एक आंतकवादी संघटन ने ली है| फिर भी मोदी जी को इसका जिम्मेदार ठहरा रहा है जो बहुत ही दुखद है|
माननीय नवाज शरीफ जी को इस दुखद घडी में सच्चे मन से विचार करना होगा कि कौन अपना है और कौन पराया| आंतकवादी की कोई कौम नहीं होती है| इन इंसानियत के दुश्मनों को पालने के बजाय समाप्त करने में ही भलाई है| अब समय आ गया है कि आंतकवाद से लड़ने के लिए विश्व के सभी देश एक साथ मिलकर आंतकवाद के खात्मे के लिए सहयोग करें|हिन्दुस्तान की जनता और सरकार हर समय सच्चे मन से पाकिस्तान के साथ है| 

Thursday, November 20, 2014

धर्माचार्य और फरेब के बीच निर्दोष आस्था|

हमारा देश भिन्न भिन्न धर्मों को मानने वाला देश है| इस देश के निवासी धर्म के नाम पर निर्दोष आस्था के वशीभूत अपने तन, मन और धन को न्यौछावर कर देते हैं| अपनी मेहनत की कमाई को धर्म के नाम पर अपनी आँखे मुंद कर दोनों हाथों से लुटा देते हैं| मानव की इस प्रकार की सच्ची और निर्दोष आस्था के कारण रामपाल जैसे धर्म के ठेकेदार नाजायज फायदा उठा कर अपनी सल्तनत खड़ी कर लेते हैं| 
रामपाल ने एक साधारण से व्यक्तित्व से ऊपर उठ कर एक ढोंगी और फरेबी संत होने का नाटक करके भोली भाली जनता को दोनों हाथों से लुटा और जनता धर्म के नाम पर लुटती रही| एक रामपाल ही क्या न जाने हमारे देश में इस प्रकार के पाखंडी और फरेबी कितने ऐसे आदमी हैं जो धर्म के नाम पर लुटते रहते हैं|
धर्म किसे कहते हैं बस यही जानने की आवश्यकता है| सच्चे मन से दूसरों की सहायता करना, अपने आचरण से किसी को कष्ट न पहुंचाना झूठ और फरेब से बचना यही सही मायने में धर्म है| सच्चे मन से अपने परिवार का पालन करना भी धर्म है|
आज के इस धोखे और फरेब की दुनिया में इस प्रकार के ढोंगी और पाखंडी संतों का बहिष्कार करके अपने आप को बचाए रखने की आवश्यकता है| हमें धर्म के नाम पर किसी से डरने की जरुरत नहीं है| धर्म किसी को डराता नहीं है| जबकि इस प्रकार के धर्म के ठेकेदार धर्म का डर दिखा कर भोले भाले व्यक्तियों को अपने चंगुल में फंसा लेते हैं

Thursday, October 9, 2014

पाक नापाक क्यों|

पाकिस्तान एक आजाद मुल्क होते हुए भी आजाद नहीं है| उसका कारण शुरू से ही उसकी औच्ची मानसिकता रहा है| जब से पाकिस्तान अलग हुआ है तभी से वह अपने दुःख से दुखी नहीं बल्कि हिन्दुस्तान के सुख को देखकर  दुखी है| अब तक पाकिस्तान में जितने भी शासक हुए हैं किसी ने भी कश्मीर से आगे कुछ नहीं सोचा| पाकिस्तान हर क्षेत्र में पिछड़ता चला गया|
 
आज पाकिस्तान के अंदरूनी हालात बद से बदतर  होते जा रहे हैं| जगह जगह पर गुटबाजी होने के कारण देश पर कोई ध्यान देने वाला नहीं है| जिसके कारण पाकिस्तान में कई बार मिलेट्री शासन लग चुका| पाकिस्तान के अंदरूनी हालात बहुत ही चिंताजनक हैं| जगह जगह आंतकवादियों ने अपने ट्रेनिंग सेंटर खोले हुए हैं पहले पाकिस्तान ने उनको हिदुस्तान के खिलाप तैयार किया लेकिन अब आंतकवादी वहां की सरकार पर हावी है|
 बहुत ही चिताजनक स्थिति हो गयी थी| पाकिस्तान अपने हिस्से के कश्मीर में बसे लोगों की कोई मदद नहीं कर पा रहा है वहां के लोग अब इस कदर परेशान हैं कि वह अब पाकिस्तान से मुक्त होना चाहते हैं| लोग घर से बेघर हो गए हैं| खाने पीने की भी कोई व्यवस्था ठीक से नहीं है बाढ़ के कारण बीमारियों ने भी अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं|
 
उपरोक्त मुद्दों के अलावा भी अनेक ऐसे पाकिस्तान के अंदरूनी मुद्दे हैं जिनसे पाकिस्तान सरकार बहुत दुखी है| पाकिस्तान ने कभी भी अपने देश के विकास और अपने देश के नागरिकों के विषय में ध्यान न देकर केवल कश्मीर का मुद्दा ही उसे नज़र आता है जबकि उसे खुद मालुम है कि कश्मीर किसी भी हालत में उसे मिलने वाला नहीं है परन्तु अपनी नापाक हरक्कतों से अपने देश के नागरिकों का ध्यान बटाने के लिए कश्मीर का राग अलापने लगता है|
 
पाकिस्तान अपनी औच्ची और नापाक हरक्कतों के कारण विश्व में अपनी साख गवां चुका है| इसके बावजूद  अब सीजफायर का उलंघन करके अपने देश की बिगडती हुई अर्थव्यवस्था से ध्यान बताने के लिए दिन प्रतिदिन सीजफायर का उलंघन करके गोलीबारी कर रहा है इसमें भी अब पाकिस्तान की हालत खराब से खराब होती जा रही है|
 
अन्त में मैं पाकिस्तान को एक नेक सलाह देना चाहता हूँ कि जियो और जीने दो वाले सिद्दांत पर चलाकर अपने देश के विकास के विषय में ध्यान देकर अपने देश के नागरिकों के उज्जवल भविष्य बनाने हेतु  प्रयत्नशील रहो| बेकार के लड़ाई झगड़ों में देश को आर्थिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है| यदि जरा भी इंसानियत बाकी है तो अभी भी समय है|अन्यथा अल्लाह भरोसे|

Friday, September 12, 2014

मौन घोटाला|

हमारा भारत देश सोने की चिड़िया कहा जाता है| वैसे इसमे कोई शक भी नहीं है| इसे कभी गैरों ने लुटा तो कभी अपनों ने| इसके बावजूद हमारा देश अपनी आन बान और शान के साथ अडिग खड़ा हुआ है| पहले आपसी फूट  के  कारण अंग्रेजों ने भारत को लूट कर अपनी तिजोरी भरी| वह भी देश के चन्द लालची कुत्तों के कारण ही संभव हो सका था|
हमारे देश के अनगिनत लोगों ने अपनी जान की कुर्बानी देकर इसे अंग्रेजों के चंगुल से इसलिए आजाद कराया था कि अब देश की भोली भाली जनता सुख चैन की साँसों के साथ अपना जीवन व्यतीत करेगी| लेकिन  ऐसा कुछ भी नहीं हुआ आज हमारे देश की  हालत देख कर उन अमर शहीदों की आत्मा रो पड़ती है जिन्होंने इस देश को आजाद कराने में अपने प्राणों की आहुति दी थी|
सत्ता के लालच में आदमी कहाँ तक गिर सकता है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है| माननीय मनमोहन सिंह जी ने सत्ता के मोह में अंधे होकर अपने मंत्रियों को दोनों हाथों से लुट खसोट करने की पूरी छुट दी हुई थी| जिन्होंने जनता की मेहनत से कमाए धन को अनेक प्रकार के घोटाले करके अपनी तिजोरी को भरने में कोई कमी नहीं छोड़ी| और मनमोहन जी अपनी मनमोहनी मुस्कान लिए मौन रह कर सब कुछ देखते रहे|
इस प्रकार के धन और सत्ता के लालची लोगों के कारण ही पहले हमारा देश गुलामी की जंजीरों  में जकड़ा गया था| अत: इस प्रकार के जयचंदों से होशियार रहने की आवश्यकता है| अन्त में मेरा अपने देश के कर्णधारों से अनुरोध है कि उनको इस देश की जनता की सुख सुविधाओं के कार्यों में धन का प्रयोग करना चाहिए| और इस प्रकार के लालचियों को कानून के द्वारा सजा दिलानी चाहिए

Monday, August 25, 2014

मोदी जी की वो हुंकार, लगाने लगी है अब बेकार|

मोदी जी ने प्रधान मंत्री बनने के बाद कहा था कि हमें आँख झुका कर नहीं बल्कि आँख मिला कर बात करनी चाहिए| यदि कोई आँख दिखाने की कोशिश करे तो उसको माकूल जवाब देना चाहिए|
पाकिस्तान एक ही माह में अनेकों प्रकार से सीजफायर का उलंघन कर चुका है| और आये दिन करता ही जा रहा है| बोर्डर के आस पास की भोली भाली जनता अपनी जान बचाने के लिए घर से बेघर होकर दर दर भटक रही है|
आज पाकिस्तान कदम कदम पर भारत को आँख दिखा रहा है और हमारी सरकार न जाने क्यों आँख मुंद कर बैठी हुई है| हो सकता है इसमे कोई कूटनीति या राजनीति हो| परन्तु देश की भोली भाली जनता न कूटनीति जानती है और न ही राजनीति| भोली  भाली जनता  तो बस सामने वाले ने जो कहा है उसी पर विश्वास करती है|
लोक सभा के चुनावों से पहले भी मोदी जी कुछ इसी प्रकार की बातें किया करते थे| चुनाव से पहले और बाद में भी अच्छे दिन आने वाली बात कई  बार कही गयी| पाकिस्तान की ना-पाक हर्क्क्तों के कारण अब बोर्डर के आसपास रहने वाली जनता के अच्छे दिनों के बजाय बुरे दिन आ गए हैं| माना कि देश में मानसून की कमी के कारण महंगाई ने पैर पसारे और ईराक युद्द के कारण तेल महंगा हुआ| परन्तु अब जो पाकिस्तान आँखे दिखा रहा है तो उसको माकूल जवाब क्यों नहीं दिया जा रहा है|
अन्त में मैं भारत सरकार से अनुरोध करना चाहता हूँ कि देश की जिस भोली भाली जनता ने भाजपा पर पूर्ण विश्वास करके मोदी जी की बहुमत की सरकार बनाने का कार्य किया है उस भोली भाली जनता का वह विश्वास  बना रहे| और मोदी जी की वह  हुंकार, होने न पाए बेकार||
 

Wednesday, August 6, 2014

संसद एक मंदिर या कुश्ती का अखाड़ा|

ऐसा माना जाता है कि किसी भी देश का संसद एक मंदिर की तरह से होता है| परन्तु आजकल हमारे देश की संसद एक अखाड़े की तरह से हो गयी है| संसद में सभी सांसदों को समाज के उत्थान और देश के विकास के विषय में चर्चा करनी चाहिए| देश के किस प्रदेश की क्या क्या समस्याएं है इस पर चर्चा होनी चाहिए| देश से किस प्रकार से साम्प्रदायिकता को समाप्त करके भाईचारा कायम किया जाए इस पर चर्च होनी चाहिए| देश किस किस प्रकार की जवलंत समस्यायों से जूझ रहा है इस पर चर्चा होनी चाहिए|परन्तु  आजकल संसद में सांसदों का केवल और केवल एक दुसरे के ऊपर छींटाकसी के अलावा कोई काम नहीं है|
 
संसद में नारेबाजी करना,बेकार के संवाद जैसे मोदी जी नेपाल में मंदिर क्यों गए ईद की मुबारकबाद क्यों नहीं दी जबकि ऐसा कुछ नहीं है फिर भी संसद का कीमती समय इस प्रकार की फिजूल की बातों पर बर्बाद किया जाता है|
 
देश के सभी सांसदों को विचार करना चाहिए कि संसद चलने के दिन देश का बहुत अधिक धन व्यय होता है वह धन बेकार की बातों में नष्ट न करके देश के विकास और उत्थान के लिए प्रयोग होना चाहिए|

Friday, August 1, 2014

सच्ची पूजा |

हर धर्म का प्राणी अपने धर्म के अनुसार पुजा अर्चना  करता है| सही मायने में पुजा पाठ करने से मन को शान्ति मिलनी चाहिए| ज्यादातर ऐसा होता है कि पुजा पाठ करते हुए भी मानव का मन इधर उधर डोलता रहता है| मेरे मतानुसार मन पर नियंत्रण करने का ही दूसरा नाम पुजा है|

गृहस्थ जीवन  में जो व्यक्ति  अपने परिवार का सच्चे मन से पालन करता है वह भी भगवान की पुजा कहलाती है| संत रविदास जी का जीवन भी कुछ इसी प्रकार से रहा है| रविदास जी जाति से चमार थे| अपने पारिवारिक व्यवसाय के अनुसार वह भी जूती गांठने का कार्य करते थे| अपने परिवार के पालन कार्य में खर्च करने के बाद जो धन बचता  उसे वह दिन दुखियों की सहायता  और साधू संतों की सेवा में खर्च करते थे|

एक बार उनकी दूकान पर राजपुरोहित जी (पंडित) अपनी जूती ठीक कराने के लिए आये| जूती गांठते  हुए भी रविदास जी धर्म से सम्बंधित बातें करते रहे उनकी बातों से पंडित जी भी काफी प्रभावित हुए जिसके कारण पंडित जी का रविदास जी की दुकान पर आना जाना शुरू हो गया|

 एक दिन पंडित जी ने रविदास जी से कहा कि मैं गंगा स्नान करने जा रहा हूँ तुम भी हमारे साथ चलो| रविदास जी ने कहा कि मेरे पास ग्राहकों का काफी काम करना बाकी है उसे समय पर देना है जिसके कारण मैं आपके साथ गंगा स्नान के लिए नहीं जा सकता| आप मेरी ओर से एक पैसा गंगा जी को दे देना|

पंडित जी गंगा स्नान के लिए चल दिए| गंगा घाट  पर पहुँच कर पंडित जी ने स्नान करके गंगा मैया की पुजा अर्चना के बाद आरती की| अपने सभी कार्यों से फारिग होने के बाद उन्होंने रविदास जी के द्वारा दिया गया पैसा गंगा जी में उछालने के लिए  जैसे ही हाथ ऊपर को उठाया तो तुरंत आवाज आई कि हे मुर्ख ब्राह्मन किसी के द्वारा दी गयी भेंट को फैंक कर नहीं बल्कि सम्मानजनक रूप से उसके हाथों में देना चाहिए|

ऐसा सुनते ही पंडित जी चित्रलिक्खे से  अचंभित हो चारों ओर देखने लगे तो देखा कि गंगा जी के अन्दर से एक हथेली बाहर आई पंडित जी ने वह पैसा उस हथेली के ऊपर रख दिया इसके बाद गंगा जी में से दूसरी हथेली बाहर आई उसमे एक रत्नजडित, अदितीय और बहुत ही सुन्दर कंगन था तुरंत आवाज आई कि हे ब्राह्मन यह कंगन मेरे भक्त रविदास को देदेना| पंडित जी ने वह कंगन ले लिया|

पंडित जी का मन उस अद्दभुत कंगन को देख ईर्ष्या से जल उठा| और लालच के वशीभूत मन के डावांडोल होने पर विचार करने लगे कि इस कंगन पर रविदास का नहीं बल्कि मेरा अधिकार है मैंने बहुत ही भक्तिभाव से गंगा जी की पूजा की उसी से प्रसन्न होकर गंगा  जी प्रगट हुईं यह पैसा तो अचानक बीच में आ गया जिसके कारण उन्होंने यह कंगन रविदास को देने के लिए कहा मैं यह कंगन अपनी पण्डितायन  को दूंगा इसे देखकर वह खुश हो जायेगी|

फिर मन में विचार आया कि यह कीमती कंगन है|  मैं राजा के यहाँ से प्राप्त दक्षिणा से अपने परिवार का पालन करता हूँ| पडोसी इसे देख चर्चा  करेंगे कि ऐसा कीमती कंगन  इस ब्राह्मन के पास कहाँ से आया? चोर उचक्कों का डर अलग से| अगर मैं इस कंगन को राजा साहब को दूंगा तो वह बहुत खुश होंगे|

ऐसा विचार कर पंडित जी ने उस कंगन को राजा को भेंट स्वरूप दे दिया|  राजा ने उस कंगन को अपनी रानी को दिया रानी ने उस कंगन को देख कर राजा से कहा कि महाराज इस कंगन का जोड़ा मिला दीजिये ताकि मैं अपने दोनों हाथों में एक से ही कंगन पहन सकूँ| दोनों हाथों में एक जैसे कंगन पहनने से हाथों की शोभा बढ़ेगी|

राजा ने अगले दिन पंडित जी से उस जैसा दूसरा कंगन लाने के लिए कहा| ऐसा सुनते ही पंडित जी के पैरों के नीचे से ज़मीं खिसक गयी| परेशान हो सोचने लगे कि यह सब उस रविदास के कारण ही हुआ है क्यों न मैं उसे ही इस जाल में फंसा  दूँ| ऐसा सोच कुटिल चाल चलते हुए राजा से कहा कि महाराज यह कंगन तो रविदास ने दिया था अत: संदेशवाहक को भेज कर उससे दूसरा कंगन मंगा  लीजिये|

राजा ने अपने एक कर्मचारी को वह कंगन देकर रविदास जी के पास भेज दिया| पंडित जी भी उस कर्मचारी के पीछे पीछे चल दिए| कर्मचारी के द्वारा दूसरा कंगन मांगने पर रविदास जी ने गंगा जी की स्तुति की| सभी घटित  घटनाओं का बोध होने पर उन्होंने गंगा मैया से प्रार्थना की और कहा कि हे गंगा मैया आज मेरे कारण यह गरीब ब्राह्मन संकट में फंस  गया है अत: इस जैसा ही दूसरा कंगन देने कीकृपा करे|

ऐसा सोचकर उन्होंने अपने सामने रक्खी कठौती में हाथ डाल दिया | (जिस  मिटटी के बर्तन में पानी भर कर चमार चमड़े को भिगो कर नरम करते हैं उस बर्तन को कठौती कहते हैं) जैसे ही उन्होंने हाथ बर्तन से बाहर निकाला उसमे दूसरा पहले जैसा ही कंगन था|

इस द्रश्य को देख पंडित जी आश्चर्यचकित हो रविदास जी के पैरों में गिर कर माफ़ी मांगने लगा| रविदास जी ने पंडित जी को गले से लगा लिया| ऐसे ही व्यक्तियों के बारे में कहा गया है कि:-
                                                                बड़े बड़ाई न तजें बड़े न बोलें बोल|
                                                              हीरा कब मुख से कहे लाख टका मेरा मोल|| 

 उपरोक्त कहानी के आधार पर हमें विचार करना है कि हमारे द्वारा की गयी पूजा कैसी होनी चाहिए| पूजा कोई  दिखावे के लिए नहीं होती| पूजा मन की शांति  के लिए की जाती है| जिस कार्य को करने से मन को शान्ति मिले वही  पूजा है|

Thursday, July 3, 2014

आस्था और विश्वास|

 शंकराचार्य श्री स्वरूपानन्द जी महाराज आज कल श्री सांई राम जी के संदर्भ में अपनी गलत बयानबाजी के कारण विवादों के घेरे में फंसते जा रहे हैं| जबकि इतने महान व्यक्ति को इस प्रकार की बयानबाजी न करके समाज को जोड़ने की कोशिश करनी चाहिए|

हमारे देश में अनेक धर्मों को मानने वाले व्यक्ति निवास करते हैं| सभी हिन्दू, मुस्लिम, सिख और इसाई अपने धर्म के अनुसार अपने अपने पीर पैगम्बरों की पूजा अर्चना करते है| हमारा हिन्दू समाज तो अनेकोंनेक देवी देवताओं की अपनी आस्था और विश्वास के साथ पूजा करते हैं|

हमारे देश में हिन्दू समाज ही नहीं बल्कि दूसरे  धर्म वाले भी व्यक्ति पूजा में विश्वास करते हैं| यदि कोई भी व्यक्ति नि:स्वार्थ  भाव से  समाज को सुधारने के साथ साथ  समाज में फैली कुरीतियों को दूर करते करते अपने प्राणों कीआहुति दे देता है तो लोग स्वत: ही उसके आदर्शों को मानते हुए देवता के सामान उसकी पूजा करने लगते है|

श्री शंकराचार्य जी महाराज कहते हैं कि श्री सांई राम जी के अनुसार सबका मालिक एक है सबका मालिक एक| इस पर शंकराचार्य जी का कहना है कि जिसका मालिक कोई और है आखिर उसकी पूजा क्यों की जाए|

उपरोक्त विषय में हमारे देश के सभी धर्मों के धर्माचार्य कहते हैं कि पूजा पाठ करने के रास्ते अनेक हैं परन्तु सबकी मंजिल एक है| अर्थात वह अद्धभुत, अतुलनीय,स्मरणीय और  चमत्कारिक शक्ति एक ही है जो इस समस्त चराचर को संचालित कर रही है वह शक्ति अजन्मा और निराकार है| फिर भी लोग अनेकोंनेक देवी देवताओं की पूजा अपनी आस्था और विश्वास के साथ करते हैं|

हमारे देशवासी बहुत ही आशावादी और एकदूसरे का अनुशरण करने वाले हैं| इसी संदर्भ में संस्क्रत की एक कहानी "गतानुगति लोके:" का वर्णन करता हूँ जो इस प्रकार है|

हमारे देश में हिन्दू समाज में हर गाँव गाँव और शहरों में आसाढ़ माह में शीतला माता का गाँव या शहर से बाहर बने स्थान पर माँ बहनें अपने बच्चों के साथ  खील पतासे, मिट्ठे पूड़े और  कई प्रकार की दालों को एक साथ मिलाकर जल के लौटे से माता को स्नान कराकर पूजन करती हैं|

एक बार ऐसा हुआ कि एक बहन अपने बच्चे के साथ उपरोक्त सामान लेकर गाँव से बाहर माता का पूजन करने के लिए जा रही थी| रास्ते में उसे बहुत जोर से पेशाब जाने की इच्छा हुई तब उसने एक एकांत स्थान देख कर जल के लौटे के साथ पूजन की समस्त सामग्री अपने बच्चे को पकड़ा कर पेशाब करने के लिए चली गयी| वापस आकर उसने बच्चे से कहा कि लौटे के जल से मेरे हाथ धुलादे| बच्चे ने जैसे ही लोटे से पानी हाथों पर डाला तो उसका दूसरा हाथ डौल गया जिससे पूजा का कुछ सामान जैसे पूड़े, दाल व् खील पतासे वहां पर गिर गए|

उस स्थान से गुजरने वाली अन्य बहनों ने देखा कि यहाँ पर भी किसी ने पूजन किया है हो सकता है सबसे पहले इसी स्थान पर पूजन किया जाता हो अत: मुझे भी यहाँ पूजन करना चाहिए| इसी धटना से उस स्थान को भी पूजा जाने लगा|

इस घटना  का सम्बन्ध केवल आस्था और विश्वास से जुड़ा हुआ है वैसे भी देहात की एक कहावत है की मानते का ही देव है| अर्थात सच्चे मन से किसी भी देवी देवता की आराधना करने से मानव इस भवसागर से पार हो जाता है| 

Monday, May 19, 2014

"भ्रूणहत्या"

आज हमारा देश "भ्रूणहत्या" नामक अभिशाप से पूर्ण रूप से ग्रसित है| इसको एक सामाजिक बिमारी का नाम दिया जाए तो भी अतिश्योक्ति नहीं होगी|

इस बिमारी को बढ़ावा देने में सबसे बडा हाथ दहेज़ प्रथा का है| जब किसी भी परिवार में कन्या का जन्म होता है तो पूरा परिवार ख़ुशी मनाने के स्थान पर दुखी सा नजर आता है| जबकि लड़के के जन्म होने पर ढोल नगाड़ों से उसका स्वागत किया जाता है|

किसी भी परिवार में जन्मी कन्या जब धीरे धीरे जवान होने लगती है तो उस कन्या के मां बाप की धड़कनें तेज होने लगती हैं| जहां भी लड़की का पिता लड़की के लिए वर खोजने के लिए जाता है तो उसे दहेज़ रूपी राक्षक का सामना करना पड़ता है|

ज्यों त्यों करके जब कन्या की शादी हो जाती है तो वर पक्ष की दहेज़ के प्रति संतुस्ठी न होने के कारण उसकी सजा कन्या के साथ साथ उसके पिता जी को भी भुगतनी पड़ती है| वह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि जिस अपनी लाड चाव से पाली लड़की की शादी में उसने अपनी वर्षों से संचित सम्पत्ति का स्वाहा किया था आज वही लड़की दुखी है| तो उसकी आत्मा चीत्कार कर उठती है|

इस प्रकार की घटनाओं को देख कर यह "भ्रूणहत्या" नामक बिमारी समाज में फैलने लगती है| ख़ास तौर पर इस बिमारी से हिन्दू समाज सबसे अधिक ग्रसित है| हिन्दू समाज में भी सबसे अधिक वैश्य समाज के उच्च श्रेणी का परिवार अपने यहाँ पुत्री को जन्म नहीं देना चाहता है| और वह सरकार के द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद भी अपने धन के बल पर यह जानने में सफल हो जाता है कि गर्भ में कन्या है जिससे वह भ्रूणहत्या करा देता है|

इस बिमारी के कारण आज भारत में लड़कों के मुकाबले में लड़कियों की संख्या समय समय पर कम होती जा रही है| जिसका खामियाजा भी अधिकतर उच्च श्रेणी के परिवारों को ही भुगतना पड़ता है| जब पुत्र कीआयु ३० के आंकड़े को पार करने लगती है तो वह मध्यम श्रेणी के परिवार की कन्या खोजनी शुरू कर देता है| परन्तु मध्यम श्रेणी का व्यक्ति भी उच्च श्रेणी में श्रेणी के अंतर के कारण अपनी कन्या की शादी नहीं करता है|

आज यह स्थिति है कि उच्च श्रेणी के परिवार अपने लडके की शादी के लिए निम्न श्रेणी के परिवारों की कन्या से बिना दहेज़ के शादी करने के लिए तैयार हो जाते है|

वैसे तो इस बिमारी से हमारा पूरा समाज ही परेशान है| आज की इस असुरक्षा के माहौल में इज्जत के साथ लड़की का पालन पोषण करना  कठिन दिखाई देता है| इस दिशा में भी हमारे देश की सरकार को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है|

अन्त में मैं अपने देशवासियों से निवेदन करना चाहता हूँ कि हमें इस गंभीर विषय पर अपने देश, समाज और अपने वंश के लिए गंभीरता से विचार करने होगा| वर्ना एक दिन ऐसा आएगा कि समाज में असंतुलन की स्थिति पैदा हो जायेगी और हमारे परिवारों के लड़कों की शादी में परेशानियों का सामना करना पड़ेगा|
                                                                                                                            (प्रमोद कुमार गुप्ता)

"राहुल तो अभी बच्चा है जी"

"राहुल तो अभी बच्चा है जी" राहुल जी वास्तव में राजनीति में अभी बच्चे ही हैं इसमें कोई शक नहीं है परन्तु पार्टी के कुछ चापलूस नेताओं ने राहुल जी के मन में कुछ इस प्रकार के भाव भर दिए थे कि वह खुद को पार्टी का खेवनहार समझ बैठे| उन्होंने दूसरों के पद की गरिमा का अपमान भी करना शुरू कर दिया था|
पार्टी की  हार का ठींकरा अब मनमोहन सिंह जी के मौन के कारण उनके सर पर फोड़ने की तैयारी चल रही है| इस पर विचार किया जाए तो मनमोहन जी को पार्टी के अन्दर बोलने का अधिकार ही कहाँ था| कांग्रेस पार्टी में तो शुरू से ही जो सोनिया जी ने कह दिया वही सही होता था| कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल जी को बनाए जाने के बाद तो राहुल जी अपने आप को पार्टी का मसीहा ही समझ बैठे| 
पार्टी को खुद से अपनी हार के विषय में मंथन करना होगा कि मनमोहन सिंह जी मौन क्यों रहते थे? पार्टी में भ्रष्टाचारी मंत्रियों का बोलबाला किसके कारण था? पार्टी में कौन कौन चापलूस हैं? पार्टी की कौन कौन सी नीतियों के कारण पार्टी विनाश के कगार पर पहुंची है? क्यों देश की जनता ने पार्टी को सिरे से नकार दिया है?
कांग्रेस पार्टी को अपनी नीतियों में बदलाव करके ही चलने पर पार्टी जिन्दा रह सकती है| पार्टी के वरिष्ठ नेतायों को भी अपनी चमचागिरी की निति को छोड़ कर चलना होगा तभी भविष्य में कांग्रेस पार्टी का जनाधार बढ़ सकता है|

Monday, May 5, 2014

नारी व्यथा |

मजबूरियों  का  जाल है  नारी   की  जिन्दगी,
दहेज़ की आग में जलती है औरत की जिन्दगी||

  मां, बाप, भाई, और  पति  की  दर्ष्टि   में,
 एक बब्धन का नाम है नारी की जिन्दगी||

गाँव, शहर  और  नगर  की  हर  गली  गली  में,
कदम कदम पर रौंदी जाती है नारी की जिन्दगी||

दुनिया को  जिसने खुशियाँ  बांटी  उम्रभर,
काँटों से  भरी  सेज  है नारी  की  जिन्दगी ||

चुनरी  की  जगह  इसको  कफ़न तो न दीजिये,
कहे पा का कि खुशियों से भर दो नारी की जिन्दगी||
 

Friday, April 18, 2014

विकास की चाह में |

जन  जन  करता   यही  पुकार |
कांग्रेस की सरकार बिल्कुल बेकार||
इसे  भगाने  को  हम  हैं  तैयार |
अबकी   बार   मोदी    सरकार ||
 
कांग्रेस की सरकार करती है  अत्याचार|
चारों  ओर  फैला  दिया है  व्यभिचार||
हमें मिलजुल कर करना होगा  विचार|
अबकी   बार   मोदी   की   सरकार ||
 
देश  से  मिट  जाएगा   भ्रष्टाचार |
नहीं  होंगे  नारी  पर   अत्याचार ||
अब  कुशाशन  का होगा  बंटाधार |
अबकी बार मोदी जी  की  सरकार||
 
देश में बहेगी शुशाशन और भाईचारे की बयार |
ऐसी हो मोदी सरकार, कि तारीफ़ करे  संसार ||
पा का की यही है ललकार आपस में करें हम प्यार|
अबकी बार मोदी जी की भाजपा  वाली  सरकार || 
 
 
  
 

Tuesday, April 8, 2014

नारी सम्मान |

मेरे देश  में नारी का  करते हैं  सन्मान |
लेकिन कदम कदम पर होता है अपमान||

            मेरे देश की नारी को  है परिवार  की इज्जत  प्यारी|
            इसी देश में अपनों ने भरी सभा में द्रोपद की चीर उतारी||

मेरे देश में नारी पाती है पुरूष का असीम प्यार|
इसी देश में नारी से होता  प्रतिदिन  बलात्कार||

          मेरे देश में नारी को क्यों समझते हैं अबला नारी|
          जब जब हुंकार भरी नारी ने काँप गया अत्याचारी||

अब मेरे देश की नारी को दुर्गा और लक्ष्मीबाई बनना होगा|
मनोवृत्ति के मारों, इंसानियत के हत्यारों को कुचलना होगा||
                                                                                 
                                                                                   











 

Friday, April 4, 2014

अपनों को समर्पित |

अपने हैं तो प्यार है, तकरार है|
अपने हैं तो आस है विश्वास है||

             अपने हैं तो चाहत है, राहत है|
             अपने हैं तो बंधन है, स्पंदन है||

अपने हैं तो रूठना  है, मनाना है|
अपने हैं तो सपना है, जग अपना है||

              अपने हैं तो रीति है, सब से प्रीति है|
              अपने हैं तो महिमा है, जग में गरिमा है||

अपनों का प्यार नहीं तो यह जीवन सूना है|
प्यार की ताकत है जो उत्साह को करता दूना है||

              प्यार नहीं तो जीवन नहीं घुट घुट कर मर जाना है|
              अपनों का प्यार मिले इस भाव सागर से तर जाना है|| 

Sunday, March 30, 2014

स्वार्थी न बनों|

आज समाज में हर व्यक्ति केवल अपने ही विषय में सोचता है| हम केवल अपने ही उत्थान के लिए हर प्रकार के अच्छे और बुरे हथकंडों को अपना कर आगे बढ़ना  चाहते हैं| जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए|

हर व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताएं रोटी, कपड़ा, और मकान है| यदि ईमानदारी से शान्ति पूर्वक प्रयास करने पर हमारी आवश्यकताएं पूरी हो जाएँ तो हमें और अधिक की चाह में पड़ कर अनैतिक तरीकों को प्रयोग करके अपने मन को अशांत नहीं करना चाहिए|

भविष्य में आगे बढ़ने की इच्छा होना अच्छी बात है| परन्तु आज हम स्वार्थी बन कर अच्छे और बुरे का विचार छोड़ कर दूसरों के माल को  हड़पने में भी नहीं हिचकते| मैं इस विषय से जुडी एक घटना का वर्णन करता हूँ|

एक गाँव में लच्छु और नत्थू नाम के दो भाई रहते थे| बडा भाई लच्छु कुछ स्वार्थी किस्म का व्यक्ति था जबकि नत्थू बहुत ही सीधा सादा था| उनके पास संपत्ति के नाम पर एक झोपड़ी, एक गाय, एक चारपाई और एक कम्बल था| लच्छु दिन में मजदूरी करता था और नत्थू गाय को जंगल में घास चराने के लिए ले जाता था| रात में दोनों भाई खाना खा कर व् दूध पीकर एक ही चारपाई पर कम्बल ओढ़ कर सो जाते थे| इस प्रकार दोनों भाई आराम से अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे|

एक दिन लच्छु ने स्वार्थ से परिपूर्ण होकर मन में विचार किया कि मजदूरी करके मैं लाता हूँ| गाय का दूध मैं निकालता हूँ| नत्थू तो दिन भर गाय चराने के नाम पर जंगल में भी आराम करता है| मन में ऐसा विचार आने पर लच्छु ने नत्थू से कहा कि हम कब तक इकट्ठे रहेंगे इसलिए हमें प्रेम से बंटवारा करके अलग हो जाना चाहिए|

नत्थू की स्वीक्रति के बाद लच्छु ने कहा कि यदि मैं बंटवारा कर दूँ तो क्या तुम्हे मंजूर होगा इस पर नत्थू ने कहा भैया तुम जो करोगे वह ठीक ही होगा| परन्तु लच्छु पूरी तरह से स्वार्थी बन चुका था|

लच्छु ने कहा कि झोपडी का बाहरी हिस्सा तुम्हारा होगा  अन्दर का हिस्सा मेरा, गाय का अगला हिस्सा तुम्हारा और पीछे का हिस्सा मेरा होगा| दिन में चारपाई और कम्बल तुम्हारा और रात में मेरा होगा| नत्थू अपने बड़े भाई की बहुत इज्जत करता था और कभी भी उनका विरोध नहीं करता था|

अगले दिन से बंटवारे के अनुसार ही कार्यवाही शुरू होगई| परन्तु इस बंटवारे से नत्थू बहुत ही परेशान रहने लगा| दिन में गाय को जंगल में चराने के बाद हार थक कर घर आने पर बिना चारपाई और कम्बल के तमाम रात झोपड़ी  के बाहर बिताता था| नींद पूरी न होने के कारण वह थका थका सा रहने लगा|

एक दिन जंगल में दुसरे चरवाहे ने उससे पुच्छा कि क्या बात है आजकल तुम बहुत परेशान रहते हो? इस पर नत्थू ने बंटवारे की पूरी बात बता कर कहा कि वें मेरे बड़े भाई हैं मैं उनके द्वारा किये गए बंटवारे के विरुद्ध आवाज भी नहीं उठा सकता| इस पर चरवाहे ने उसे एक सुझाव देते हुए कहा कि इस प्रकार करोगे तो लच्छु जी को अपनी गलती का अहसास भी हो जाएगा और आपसी सम्बन्ध भी खराब नहीं होंगे|

शाम को जब दोनों भाई झोपडी में इक्कठे हुए तो नत्थू ने झोपडी के अगले हिस्से पर मिटटी का तेल छिड़कना  शुरू कर दिय| ऐसा देख कर लच्छु ने पुछा कि यह क्या कर रहे हो? नत्थू ने कहा कि झोपड़ी का बाहरी हिस्सा मेरा है मैं इसे जला रहा हूँ| लच्छु ने कहा  कि फिर तो अन्दर का हिस्सा भी जल जाएगा तुम ऐसा न करो अरे भाई तुम भी अन्दर ही सो जाया करो|

कुछ समय बाद जब लच्छु गाय का दूध निकालने लगा तो नत्थू ने गाय के अगले हिस्से की गाय के गले में पड़ी  रस्सी को पकड़ कर गाय को हिलाना शुरू कर दिया जिससे गाय ने बिदक कर दूध निकाल रहे लच्छु को लात मार दी और दूध भी जमीन पर गिर गया| लच्छु ने फिर कहा कि यह तुम क्या कर रहे हो? तो उसने कहा  गाय का अगला हिस्सा मेरा है मैं गाय के अगले हिस्से से खेल रहा हूँ| तब लच्छु ने कहा कि ऐसा न करो गाय भी मेरी और तुम्हारी दोनों की ही है|

रात में लच्छु ने चारपाई पर बैठ  कर  कम्बल माँगा तो नत्थू ने पानी में भीगा हुआ कम्बल ला कर दे दिया| लच्छु ने कहा यह तो पानी में भीगा हुआ है| नत्थू ने कहा जब मैं गाय को जंगल में चराने के लिए जाता हूँ तो वहां दोपहर में गर्मी लगती है तब मैं इसको पानी में भिगो कर ओढ़ लेता हूँ|

नत्थू की बात सुन कर लच्छु ने मन में विचार किया कि यह सब मेरा ही किया धरा है मैंने ही स्वार्थ में अँधा होकर ऐसा बंटवारा किया था| इस पर उसे घोर पश्चाताप हुआ| उसने अपने छोटे भाई को गले से लगा कर कहा कि मैं स्वार्थ में अँधा हो गया था मुझे माफ़ कर दो| इसके बाद वे दोनों फिर से तेरे मेरे को छोड़ कर प्रेम पूर्वक रहने लगे|

इस कहानी के माध्यम से मेरा केवल यही कहना है कि हमें अपने जीवन में अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए किसी के भी विश्वास को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए|

  

Tuesday, January 7, 2014

अन्त:मन की आवाज

आज केजरीवाल जी की सरकार की चारों ओर प्रशंसा ही प्रशंसा हो रही है| देश आजाद होने के बाद से ही देश और प्रदेश में सरकारें बनती रही हैं, अब भी अलग अलग प्रदेशों में सरकारें बनी हैं, और आगे भी बनती रहेंगी| चुनाव में तरह तरह की घोषणाए की जाती हैं सरकार बनने पर उन्हें पूरा करने का प्रयास भी किया जाता है| फिर आम आदमी पार्टी की सरकार की ही इतनी तारीफ़ क्यों?

 प्रश्न तो भूत, वर्तमान और भविष्य को लेकर मेरे मन में भी बहुत हैं| कि "आप " की सरकार कैसी होगी?

हमारे देश में  पांच प्रतिशत से भी कम जनता राजनीति करती है शेष ९५ प्रतिशत जनता राजनीति के कर्णधारों से केवल अपनीं सुरक्षा और इमानदारी से सरकार के द्वारा दी गयी सुविधाओं का लाभ उठाने की चाह रखती है यह आम जन किसी दल जैसे कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा आदि किसी दल की गुलाम नहीं है|

 हम जैसे छोटे और आम जन किसी भी राजनैतिक दल से कुछ उम्मीदें रख कर सरकारें चुनते हैं| जब चुनी गई सरकार के द्वारा इस छोटे और आम जन का शोषण शुरू हो जाता है तो निराश होकर अन्य दल की सरकार बनवाई जाती है यह कर्म चलता ही आ रहा है

|सरकार बनाने के बाद कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर नजर आने लगता है| सरकारें लूट, खसोट में व्यस्त होकर आम आदमी की सुरक्षा न करके अपनी और अपने नेताओं की सुरक्षा करना, भय मुक्त समाज प्रदान करने के बजाय गुंडों को संरक्षण देना, नारी को सन्मान देने के बजाय उत्पीडन करने जैसे आदि कार्यों में व्यस्त हो जाती है|

"आप" ने अब दिल्ली में सरकार बना कर बागडोर सँभालते ही चुनाव में किये गए बिजली और पानी से सम्बन्धित वायदे को पूरा करके छोटे और आम जन का मन मोह लिया है|आज :आप की सरकार ने जनता की मूलभूत  आवश्यकता को पूरा करने की दिशा में कार्य किया| जिसके कारण ही "आप"की इतनी प्रशंसा हो रही है

आपकी कथनी और करनी के फलस्वरूप ही दुसरे प्रदेशों की सकारों में भी खलबली  मच गयी है|इसके कारण ही आज "आप" की इतनी प्रशंसा हो रही है|

"आप" की सरकार को विधान सभा में बहुमत हासिल हो गया है| केजरीवाल जी आपने विधान सभा में १७ सूत्री कार्यक्रम की उद्घोषणा करके जनता का मन मोह लिया है|

अब दिल्ली की ही नहीं बल्कि पूरे देश की नजरें "आप" पर टिकी हैं कि केजरीवाल जी आप नायक की कसौटी पर खरे उतरते हुए कब तक अपने द्वारा की गयी घोषणाओं को पूरा करते हैं|

अन्त में मैं यही कहना चाहता हूँ कि यदि आप चुनौतियों को सहते हुए छोटे और आम जन की कसौटी पर खरे उतरते हैं तो आपके लिए दिल्ली दूर नहीं होगी|