Wednesday, August 6, 2014

संसद एक मंदिर या कुश्ती का अखाड़ा|

ऐसा माना जाता है कि किसी भी देश का संसद एक मंदिर की तरह से होता है| परन्तु आजकल हमारे देश की संसद एक अखाड़े की तरह से हो गयी है| संसद में सभी सांसदों को समाज के उत्थान और देश के विकास के विषय में चर्चा करनी चाहिए| देश के किस प्रदेश की क्या क्या समस्याएं है इस पर चर्चा होनी चाहिए| देश से किस प्रकार से साम्प्रदायिकता को समाप्त करके भाईचारा कायम किया जाए इस पर चर्च होनी चाहिए| देश किस किस प्रकार की जवलंत समस्यायों से जूझ रहा है इस पर चर्चा होनी चाहिए|परन्तु  आजकल संसद में सांसदों का केवल और केवल एक दुसरे के ऊपर छींटाकसी के अलावा कोई काम नहीं है|
 
संसद में नारेबाजी करना,बेकार के संवाद जैसे मोदी जी नेपाल में मंदिर क्यों गए ईद की मुबारकबाद क्यों नहीं दी जबकि ऐसा कुछ नहीं है फिर भी संसद का कीमती समय इस प्रकार की फिजूल की बातों पर बर्बाद किया जाता है|
 
देश के सभी सांसदों को विचार करना चाहिए कि संसद चलने के दिन देश का बहुत अधिक धन व्यय होता है वह धन बेकार की बातों में नष्ट न करके देश के विकास और उत्थान के लिए प्रयोग होना चाहिए|

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