Thursday, October 9, 2014

पाक नापाक क्यों|

पाकिस्तान एक आजाद मुल्क होते हुए भी आजाद नहीं है| उसका कारण शुरू से ही उसकी औच्ची मानसिकता रहा है| जब से पाकिस्तान अलग हुआ है तभी से वह अपने दुःख से दुखी नहीं बल्कि हिन्दुस्तान के सुख को देखकर  दुखी है| अब तक पाकिस्तान में जितने भी शासक हुए हैं किसी ने भी कश्मीर से आगे कुछ नहीं सोचा| पाकिस्तान हर क्षेत्र में पिछड़ता चला गया|
 
आज पाकिस्तान के अंदरूनी हालात बद से बदतर  होते जा रहे हैं| जगह जगह पर गुटबाजी होने के कारण देश पर कोई ध्यान देने वाला नहीं है| जिसके कारण पाकिस्तान में कई बार मिलेट्री शासन लग चुका| पाकिस्तान के अंदरूनी हालात बहुत ही चिंताजनक हैं| जगह जगह आंतकवादियों ने अपने ट्रेनिंग सेंटर खोले हुए हैं पहले पाकिस्तान ने उनको हिदुस्तान के खिलाप तैयार किया लेकिन अब आंतकवादी वहां की सरकार पर हावी है|
 बहुत ही चिताजनक स्थिति हो गयी थी| पाकिस्तान अपने हिस्से के कश्मीर में बसे लोगों की कोई मदद नहीं कर पा रहा है वहां के लोग अब इस कदर परेशान हैं कि वह अब पाकिस्तान से मुक्त होना चाहते हैं| लोग घर से बेघर हो गए हैं| खाने पीने की भी कोई व्यवस्था ठीक से नहीं है बाढ़ के कारण बीमारियों ने भी अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं|
 
उपरोक्त मुद्दों के अलावा भी अनेक ऐसे पाकिस्तान के अंदरूनी मुद्दे हैं जिनसे पाकिस्तान सरकार बहुत दुखी है| पाकिस्तान ने कभी भी अपने देश के विकास और अपने देश के नागरिकों के विषय में ध्यान न देकर केवल कश्मीर का मुद्दा ही उसे नज़र आता है जबकि उसे खुद मालुम है कि कश्मीर किसी भी हालत में उसे मिलने वाला नहीं है परन्तु अपनी नापाक हरक्कतों से अपने देश के नागरिकों का ध्यान बटाने के लिए कश्मीर का राग अलापने लगता है|
 
पाकिस्तान अपनी औच्ची और नापाक हरक्कतों के कारण विश्व में अपनी साख गवां चुका है| इसके बावजूद  अब सीजफायर का उलंघन करके अपने देश की बिगडती हुई अर्थव्यवस्था से ध्यान बताने के लिए दिन प्रतिदिन सीजफायर का उलंघन करके गोलीबारी कर रहा है इसमें भी अब पाकिस्तान की हालत खराब से खराब होती जा रही है|
 
अन्त में मैं पाकिस्तान को एक नेक सलाह देना चाहता हूँ कि जियो और जीने दो वाले सिद्दांत पर चलाकर अपने देश के विकास के विषय में ध्यान देकर अपने देश के नागरिकों के उज्जवल भविष्य बनाने हेतु  प्रयत्नशील रहो| बेकार के लड़ाई झगड़ों में देश को आर्थिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है| यदि जरा भी इंसानियत बाकी है तो अभी भी समय है|अन्यथा अल्लाह भरोसे|

No comments:

Post a Comment