Monday, May 19, 2014

"राहुल तो अभी बच्चा है जी"

"राहुल तो अभी बच्चा है जी" राहुल जी वास्तव में राजनीति में अभी बच्चे ही हैं इसमें कोई शक नहीं है परन्तु पार्टी के कुछ चापलूस नेताओं ने राहुल जी के मन में कुछ इस प्रकार के भाव भर दिए थे कि वह खुद को पार्टी का खेवनहार समझ बैठे| उन्होंने दूसरों के पद की गरिमा का अपमान भी करना शुरू कर दिया था|
पार्टी की  हार का ठींकरा अब मनमोहन सिंह जी के मौन के कारण उनके सर पर फोड़ने की तैयारी चल रही है| इस पर विचार किया जाए तो मनमोहन जी को पार्टी के अन्दर बोलने का अधिकार ही कहाँ था| कांग्रेस पार्टी में तो शुरू से ही जो सोनिया जी ने कह दिया वही सही होता था| कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल जी को बनाए जाने के बाद तो राहुल जी अपने आप को पार्टी का मसीहा ही समझ बैठे| 
पार्टी को खुद से अपनी हार के विषय में मंथन करना होगा कि मनमोहन सिंह जी मौन क्यों रहते थे? पार्टी में भ्रष्टाचारी मंत्रियों का बोलबाला किसके कारण था? पार्टी में कौन कौन चापलूस हैं? पार्टी की कौन कौन सी नीतियों के कारण पार्टी विनाश के कगार पर पहुंची है? क्यों देश की जनता ने पार्टी को सिरे से नकार दिया है?
कांग्रेस पार्टी को अपनी नीतियों में बदलाव करके ही चलने पर पार्टी जिन्दा रह सकती है| पार्टी के वरिष्ठ नेतायों को भी अपनी चमचागिरी की निति को छोड़ कर चलना होगा तभी भविष्य में कांग्रेस पार्टी का जनाधार बढ़ सकता है|

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