Sunday, September 8, 2013

मुज़फ्फरनगर: मेरा अनुरोध

मेरे शहर के प्यारे हिंदू व मुस्लिम भाइयों,

मुज़फ्फरनगर: मेरा अनुरोध

मुझे अपने शहर व जिले मे भड़के फ़साद को अमेरिका मे इनेट के माध्यम से पढ कर हार्दिक दुख पहुंचा। हम एक परिवार के सदस्यों की तरह है। परिवार मे प्यार के साथ -साथ झगडे भी होते है। हम सभी को यह समझना होगा कि हम जातिवाद के दंश से बाहर निकल कर यह विचार करें क़ि हम जाति बिरादरी से पहले एक व्यक्ति है। हमें इस जातिवाद मे उलझा कर कुछ राजनैतिक पार्टिया अपने फायदे के लिए हमै लड़ा कर फायदा उठाना चाह्ती है जब भी इलेक्शन का समय होता है ऐसा ही होता है हमें इस पर विचार करना होगा। हमारा कोई भी कार्य एक दूसरे के बगैर पुरा नहीं होता यह भी हम जानते है फिर भी चंद असामाजिक तत्वों के भड़कावे मे आकर हम एक दूसरे के खून के प्यासे होकर लड़ने लगते है ऐसा क्यों ?

यदि सोचा जाये कि यें जाति बिरादरी तो बाद मे आयी पहले आया आदमी। आदमी के अन्दर हर जाति विधमान  है जैसे आदमी जब दिमाक से सोचने का कार्य करता है तो वह एक चिन्तक, विचारक (ब्राहमण, मोलवी, पादरी या गुरु) कोई भी हो सकता है। जब वह हाथों से कोई कार्य करता है तो वह पुरुषार्थी होता है जब उसे भूख लगती है तो वह एक वैश्य (वैश्य कोई जाति नही है वह व्यापर के माध्यम से हर जाति के व्यक्ति की जरूरतों को पूरा करता है) का कार्य करता है। हर जाति का व्यक्ति अपने ही हाथों से अपने शरीर ,घर आदि की सफाई का कार्य करता है। तो फिर विचार करें कि हम किस जाति के आदमी है?

अंत में मेरा अपने प्यारे शहरवासियों से पुरजोर अनुरोध है कि आप इस जातिवाद से ऊपर उठ कर शहर व जिले मे शान्ति व्यवस्था कायम करने मे अपना पूर्ण सहयोग दें।  

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