Tuesday, September 10, 2013

परिवार की इज्जत

परिवार की इज्जत परिवार के सदस्यों से होती है ,इस विषय मे एक घटना का वर्णन करता हूँ। एक गावं में एक छोटा सा वैश्य परिवार रहता था। वैश्य अपनी पत्नि व बेटे के साथ घर में ही दुकान करके परिवार का पालन करता था। उसका बेटा विवाह योग्य हो गया था।
वह अपनी पत्नि से  कहता रहता था कि इस घर की इज्जत मेरे ही कारण है मै ही अपनी मेहनत से धन कमा कर परिवार का पालन करता हूँ पत्नि उसे समझती रहती थी कि परिवार की इज्जत परिवार के सभी सदस्यों के आचरण से होती है। वह इससे इंकार करके कहता था कि मेरे पास काफी धन है जिसके कारण  पूरा गावं व आसपास के गावों मे मेरी इज्जत है। पत्नि ने कहा कि समय आने पर खुद समझ जाओगे।
कुछ समय पश्चात पास के गावं से उसके लड़के का रिश्ता आया उन्होंने लड़का पसंद कर लिया। इसके बाद वह वापस जाने लगे वैश्य ने उन्हें कहा कि आप खाना खा कर ही जायेगें। उसने लड़के के कहा कि घर जा कर मेहमानों के लिए खाना तैयार कराओ।
लड़के ने घर जाकर अपनी माता जी से खाना बनाने के लिए कहा वैश्य की पत्नि ने विचार किया कि उन्हें सबक़ सिखाने का अच्छा अवसर है वैश्य सभी मेहमानों को घर ले आया।पत्नि ने आवाज दे कर कहा कि मेहमानों के लिये चावलों का मांड तैयार है आकर ले जाओ ऐसा सुनकर वह दौड़ कर पत्नि के पास आकार क्रोधित हो कहने लगा कि तुमने यह क्या किया तुमने तो मेरी इज्जत मिटटी में मिला दी। पत्नी ने कहा कि मैंने जो बनाया है  वही तो खिलाऊँगी आपने तो मुझे कुछ बनाने के लिए नहीं कहलवाया था यदि इसमें तुम्हारी इज्जत जा रही है तो मै क्या करूँ।
मेहमानों ने जब चावलों के मांड को खाने के लिए सुना तो वें आपस में विचार करने लगे कि यह वैश्य तो बहुत कंजूस है हम अपनी लड़की की शादी इस परिवार मे नही करेगें।
वैश्य बहुत दुखी था पत्नि ने जले पर नमक छिडकते हुए कहा कि आपकी इज्जत तो पुरे गावं व आसपास के गावों मे है वहां से बुला कर बचा लो वैश्य पत्नी के इस आचरण से दुखी होकर बोला ,भाग्यवान पहले वाली बातो को भुल कर इस घर की इज्जत बचा लो। तब पत्नि बोली अच्छा ऐसा है तो तुम मेहमानों के पास जाकर बैठ जाओ और कहो कि चावलों का मांड जल्दी भेजो।मजबूर हो कर उसने ऐसा ही किया मेहमानों के सामने जब कटोरी में मांड पहुंचा तो वे खाने में आनाकानी करने लगे तो पत्नि ने कहा कि अच्छा एक -एक चम्मच तो खालो।उन्होंने बेमन से चम्मच से मांड को खाना शुरू किया तो देखा उसमे अनेक प्रकार के मेवा है ऐसा देखकर वे विचार करने लगे कि इनके यहाँ जब मांड इस प्रकार से बनता है तो इनका खानपीन और रहनसहन तो बहुत उत्तम होगा।वे बड़े खुश हुए तथा रिश्ता तय हो गया.घर की इज्जत पूरे परिवार के सदस्यों के शुद्ध आचरण से ही होती है.। । । । । ।





















परिवार की इज्जत

















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