Monday, September 9, 2013

आत्मा सो परमात्मा

आस्था ,पूजा ,अर्चना इन शब्दों का मनुष्य के जीवन से गहरा संबंध है. मनुष्य चाहे किसी भी धर्म से हो, वह अपने धर्म के अनुसार धर्म के प्रति आस्था व विश्वास के साथ पूजा, अर्चना अवश्य करता है। पूजा किसी भी देव, अल्लाह, गॉड, वाहे गुरू आदि को खुश करने के लिए नही जाती बल्कि अपने ही मन के शुद्धिकरण के लिए की जाती है. (आत्मा सो परमात्मा )पूर्ण आस्था से पूजा ,अर्चना करके मनुष्य अपने अन्दर की आत्मा को ही शुद्ध करता है । ज्यों -ज्यों आत्मा शुद्ध होती है त्यों- त्यों मनुष्य अपने जीवन को दूसरों के प्रति समर्पित कर प्रेम से जीने के लिए प्रेरित होता  है।


 

No comments:

Post a Comment