Tuesday, November 19, 2013

जोश में होश खोना|

मनुष्य किसी भी कार्य को करने में अपनी बुद्धि का प्रयोग करता है| सही प्रकार से बुद्धि के प्रयोग करने पर कठिन से कठिन कार्य भी पूर्ण हो जाता है| मनुष्य का मन चंचल होता है| किसी भी कार्य को करने में बुद्धि मन को कार्य के अच्छे व् बुरे होने के विषय में अवगत कराती है|

मन दो प्रकार से कार्य करता है| मन के दो भाग (तराजू के दो पलड़ों के अनुसार) होते हैं| एक भाग अच्छे कार्यों की और आकर्षित करता है| दूसरा भाग बुरे कार्य की और खींचता है| मन पर जिस भाग का अधिक प्रभाव होता है मनुष्य उसी दिशा में कार्य करने लगता है|

कभी कभी मनुष्य जोश में बुद्धि का प्रयोग न करते हुए तथा मन से अच्छे और बुरे पर विचार न करते हुए होश खो बैठने पर ऐसा कार्य कर बैठता है कि उसे तमाम उम्र अपने किये पर पछतावा होता रहता है| इस विषय में मैं एक घटना का वर्णन करता हूँ| 

हरियाणा के किसी शहर में लक्खी नाम का एक बंजारा रहता था| वह बहुत ही ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति था| तथा मन के अच्छे विचारों के साथ बुद्धि का प्रयोग करते हुए ईमानदारी के साथ व्यापार करता था| उसने अनेक प्रकार के दुधारू पशु भी पाल रक्खे थे|

लक्खी ने एक कुत्ता भी पाल रक्खा था| वह कुत्ते को बहुत प्यार करता था| कुत्ता भी अपने मालिक के प्रति पूर्ण वफादार था वह अपने मालिक की हर प्रकार से रक्षा करने के लिए तत्पर रहता था| इस प्रकार वह सभी सुखों को भोगते हुए अपना जीवन व्यतीत कर रहा था|

अच्छे बुरे समय का कुछ पता नहीं चलता| लक्खी बंजारे को अचानक से व्यापार में हानि होने लगी| पशु भी बीमार होकर मरने लगे| आहिस्ता आहिस्ता कारोबार सिमटता चला गया| एक दिन ऐसा आया कि उसे घर खर्च में भी परेशानी होने लगी|

लक्खी बंजारे ने बुरे समय में भी ईमानदारी का साथ बिल्कुल नहीं छोड़ा| अत:वह अपने वफादार कुत्ते को साथ लेकर दूसरे शहर में अपने एक साहूकार मित्र के पास गया| उसे अपनी स्थिति से अवगत कराकर कहा कि मित्र मुझे कुछ समय के लिए कुछ धन की आवश्यकता है अत: आप मेरे कुत्ते को गिरवी रखलें|

साहूकार ने कहा कि आप कुत्ते को गिरवी न रखकर धन ले जाओ| परन्तु लक्खी बंजारे ने कुत्ते को गिरवी रखकर ही धन लिया| और वापस अपने शहर आ गया|

एक दिन साहूकार के घर में चोर घुस गए| चोर घर से सोने चांदी के जेवरात व् धन दौलत चुरा कर लेजाने लगे| बंजारे का कुत्ता भी उनके पीछे पीछे चल दिया| चोरों ने सभी सामान शहर से बाहर एक गड्ढे में दबा दिया ताकि उन्हें कोई सामान ले जाते हुए देख न ले| परन्तु कुत्ता यह सब देख रहा था|

प्रात: में साहूकार ने देखा कि चोर उसके सब जेवर और धन दौलत चुराकर ले गए| तो वह विलाप करके रोने लगा| रोने की आवाज सुनकर पडोसी भी इकटठे हो गए| उसी समय कुत्ता साहूकार की धोती पकड़ कर एक दिशा की ओर खींचने लगा|

पड़ोसियों ने कहा कि कुत्ता तुम्हे कहीं लेजाना चाहता है| अत: सभी लोग कुत्ते के पीछे पीछे चल दिए| कुत्ते ने गड्ढे के पास पहुँच कर अपने पैरों से गड्ढे की मिटटी हटानी शुरू कर दी| मिटटी के हटते ही सारा सामान दिखाई  देने लगा| जिसे देख कर साहूकार बहुत खुश हुआ|

साहूकार ने मन में  विचार किया कि इस कुत्ते के कारण आज मेरा सब धन दौलत और जेवरात चोरी होने से बच गया है| आज इसने अपने मालिक के द्वारा लिया हुआ कर्ज ब्याज सहित चुकता कर दिया| अत: अब मुझे इस कुत्ते को गिरवी के रूप में अपने पास रखने का कोई अधिकार नहीं है|

साहूकार ने उपरोक्त सभी बातों को एक तख्ती पर लिख कर कुत्ते के गले में बाँध दिया|और कुत्ते को मुक्त कर दिया| कुत्ता मुक्त होकर अपने मालिक के पास चल दिया|

लक्खी बंजारे ने दूर से कुत्ते को आता देखकर सोचा कि मेरा कुत्ता साहूकार से बेवफाई करके भाग आया है| ऐसा विचार मन में आते ही उसने जोश में होश खोकर अपनी बुद्धि का प्रयोग न करते हुए विवेकहीन होकर कुत्ते को गोली मार दी|

कुत्ते के मरने के बाद बंजारे ने उसके पास जाकर उसके गले में पड़ी हुई तख्ती पढ़ी तो वह आत्मग्लानि से भर गया|और उसने जोश में होश खोकर अपने वफादार कुत्ते को खो दिया| जिसका उसे तमाम उम्र पछतावा रहा|

अत: हमें कोई भी कार्य करने से पहले अपनी बुद्धि का प्रयोग कर मन में विवेक पूर्ण विचार करके ही कार्य को करना चाहिए ताकि बाद में अपने द्वारा किये गए कार्य पर बंजारे की तरह पछताना न पड़े|



 

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