Wednesday, November 6, 2013

गुल्लर भी पकवान|

गर्मियों के दिन थे| एक गडरिया भेड़ चराने जंगल गया हुआ था| भयंकर गर्मी पड रही थी मानो आकाश से आग बरस रही हो| ऐसे में वह गडरिया एक पेड़ के नीचे लेट कर सो गया|

एक राजा जंगल में शिकार खेलने के लिए गया हुआ था| कि वह अपने काफिले से बिछड़ कर रास्ते से भटक गया| इधर उधर भटकते हुए भुख, प्यास से परेशान राजा ने अचानक से गडरिये को देखा|

राजा ने विनय भरे शब्दों में कहा, थोडा पानी मिलेगा? गडरिये ने अपने गिलास से राजा को पानी पिलाया| पानी पीने के बाद राजा की जान में जान आई| तब उन्होंने पूछा कि क्या कुछ खाने को भी मिलेगा?

राजा की बात सुन गडरिये ने कहा कि हे भाई मैं दोपहर के लिए दो रोटी लेकर आता हूँ| अत:एक रोटी तुम खा लो एक मैं खा लूँगा|

ऐसा कह कर उसने एक मोटी अधपकी नमक की रोटी पर गंठा(प्याज )रखकर खाने के लिए दी| भुख से परेशान राजा ने उस अधपकी नमक की रोटी को बड़े ही चाव से खायी| कहते हैं कि भुख में गुल्लर भी पकवान|

अब जैसे ही राजा को ख्याल आया कि मैं जंगल में भटका हुआ हूँ| तो उसने गडरिये से कहा कि देखो भाई मैं इस इलाके का राजा हूँ| अपने काफिले के साथ जंगल में शिकार खेलने आया था| काफिले से बिछड़ कर रास्ते से भटक गया हूँ, अत:रास्ता बता कर मेरी सहायता करें|

राजा की बात सुन गडरिया डर से कांप कर कहने लगा कि महाराज मैंने भूलवश आपके साथ अपने समकक्ष व्यवहार किया है| मैंने रुखी सुखी रोटी खिलाकर आपका अपमान किया है| मैं आपका अपराधी हूँ जो चाहें सजा दें|

राजा ने कहा हे भाई तुमने भूख  प्यास से मेरी जान बचाई है आप तो मेरे प्राणदाता हो आज से तुम मेरे मित्र हो आप मेरे मित्र के रूप में सदा आमंत्रित हैं| गडरिये के द्वारा रास्ता बताने पर राजा अपने शहर चले गए| गडरिये ने घर आ कर राजा से अपनी मित्रता के विषय में पत्नी को बताया|

बारिश न होने से उस इलाके में अकाल पड गया| पानी व् घास की कमी के कारण गडरिये की भेड़ बकरियां भी एक एक करके मरने लगी| गडरिये की पत्नी ने कहा कि तुम्हारा तो राजा मित्र है| ऐसी मुसीबत के समय में उनसे सहायता मांग कर देख लो|

पत्नि की बात सुन कर गडरिया राजा से मिलने उसके शहर पहुंचा| राजा ने उसे देख गले से लगा कर अपने दरबारियों से अभीष्ट मित्र की भांति परिचय कराकर उसे महल में ले गया| तथा आदर सहित ठहरा कर उसकी सेवा में अनेक दास दासियाँ छोड़ दी|

गडरिया अनेक प्रकार के सुख जैसे स्वादिस्ट भोजन. दास दासियों के द्वारा सेवा किया जाना व् मखमली गद्दों पर सोना इत्यादि प्रकार के आराम के कारण यहाँ आने का उद्देश्य भी भूल गया|

प्रति दिन राजा उससे मिलने आते थे| एक दिन हालचाल पूछने पर उसने कहा कि मुझे आज रात में ठीक से नींद नहीं आई| राजा के पूछने पर उसने कहा कि रात भर कुछ चुभता रहा है|

नौकर के द्वारा बिस्तर देखने पर गद्दे की ऊपरी सतह में एक बिनोला मिला| जिसके चुभने के कारण गडरिये को नींद नहीं आई|

इस पर राजा ने कहा कि इसमें इसका कोई दोष नहीं है| पहले इसे भेड़ बकरी चराते चराते भीषण गर्मी में पेड़ के नीचे ऊबड़ खाबड़ जमीन पर नींद आ जाती थी| परन्तु यहाँ मिली सुविधाओं के कारण समय बिताने पर एक बिनोला ही कष्ट पहुंचा रहा है|

अत:उपरोक्त कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि जिस प्रकार एक राजा जो प्रतिदिन अनेक प्रकार के स्वादिष्ट भोजन चखता था उसे भुख, प्यास में रुखी सुखी रोटी भी स्वादिष्ट पकवान से अच्छे लगे|और इसके विपरीत गडरिये को राजसी सुविधाओं के मिलने पर एक बिनोला भी चुभने लगा| उसी प्रकार हमारे मन की स्थिति है| हमें हर परिस्थिति में मन पर कंट्रोल रख कर कर्म करते रहना चाहिए|

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