Friday, November 22, 2013

करे कोई भरे कोई|

एक गाँव नदी के किनारे पर बसा था| नदी के दुसरे किनारे पर एक साधू का आश्रम था| साधू सुबह से ही तपस्या में लगे रहते थे| वे प्रतिदिन शाम के समय गाँव में भिक्षा मांगने जाते थे| वें गाँव में क्रमवार अपनी आवश्यकता के अनुसार ही भिक्षा में भोजन लेते थे| आश्रम में वापस आकर संध्यावंदन से फारिग होकर भिक्षा में प्राप्त भोजन कर रात्रि विश्राम करते थे|

गाँव में एक महिला का पति कुछ माह पूर्व धन कमाने हेतु बाहर गया हुआ था| उसके पति की शक्ल साधू से बहुत कुछ मिलती थी| साधू की शक्ल देख कर उसे अपने पति की याद आने लगती थी| जिसके कारण वह साधू से मन ही मन घ्रणा करने लगी|

मन में आये विकार के कारण उस स्त्री ने विचार किया कि यदि यह साधू मर जाए तो मुझे दिखाई नहीं देगा,और मुझे पति की याद भी नहीं सताएगी|

साधू के द्वारा भिक्षा मांगने के क्रमानुसार अगले दिन साधू को उस स्त्री के घर ही भिक्षा मांगनी थी| अत:उस स्त्री ने अगले दिन साधू के भोजन में जहर मिला कर दे दिया|

साधू जैसे ही गाँव से वापस आ रहे थे|कि मौसम खराब हो गया| हल्की बूंदाबांदी शुरू हो गयी| बारिश में भीगने के कारण साधू की तबियत खराब हो गयी| संध्यावंदन करते करते मुसलाधार पानी भी बरसने लगा| तबियत ख़राब होने के कारण साधू बिना भोजन किये ही लेट गए|

एक मुसाफिर बारिश में भीगता हुआ आश्रम में पहुंचा| साधू को प्रणाम कर उसने कहा कि मैं नदी पार के गाँव का रहने वाला हूँ| बाहर बारिश बहुत तेज हो रही है| बारिश के कारण नदी का जलस्तर भी बढ़ गया है| साधू ने कहा ठीक है तुम रात्रि में आश्रम में विश्राम करो| प्रात:में घर चले जाना|

मुसाफिर ने कहा कि मुझे भुख भी बहुत लगी है कुछ खाने के लिए हो तो दो?साधू ने दिन में भिक्षा में प्राप्त वही खाना उसे दे दिया| उसने भरपेट खाना खाया| मुसाफिर खाना खाकर सो गया|

दिन निकलने पर भी जब मुसाफिर सोता ही रहा तो साधू ने उसे जगाने की कोशिश की परन्तु  वह नहीं उठा| साधू ने देखा कि उसकी म्रत्यु हो चुकी है| और उसका शरीर भी नीला हो गया| साधू ने अपने शिष्य के द्वारा गाँव में सुचना भिजवाई|

गाँव वालों ने आकर देखा| उसे पहचान कर उस मुसाफ़िर की पत्नी जोर जोर से विलाप कर रोने लगी| साधू ने उसे बताया कि पुत्री तुम्हारा पति रात्रि में बारिश  के कारण यहाँ रुका था| वह बहुत भूखा था अत:मैंने तुम्हारे यहाँ से प्राप्त भोजन इसको खिलाया जिसे खाकर वह सो गया|

यह सुन कर वह स्त्री रोते रोते पश्चाताप कर कहने लगी| और कहने लगी महाराज यह मेरी करनी का फल है| जिसे मैं तो पूरी उम्र भरुंगी ही परन्तु मेरे पति की निर्दोष होते हुए भी मौत हो गयी| ऐसा कह उसने अपने द्वारा भोजन में जहर मिलाने वाली घटना साधू को बताई|

साधू ने उसे समझाते हुए कहा कि हमें अपने जीवन में भावनाओं में बह कर कोई भी पाप कर्म नहीं करना चाहिए| पाप तुमने किया और भरना तुम्हारे पति को पड़ा| इसी को कहते हैं कि करे कोई और भरे कोई|






 

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