Wednesday, October 16, 2013

आँखों की शर्म|

उपरोक्त विषयक एक घटना इस प्रकार है| एक व्यक्ति परिवार सहित एक शहर में रहता था| उसका एक पुत्र बुरी संगत के कारण शराब पीने लगा|

एक दिन वह किसी होटल में बैठा शराब पी रहा था| उसके पड़ोस में रहने वाले एक व्यक्ति ने उसे शराब पीते हुए देख लिया| वापस आ कर पडोसी ने उसके पिता जी से कहा| ऐसा सुन कर पिता जी को विश्वास नहीं हुआ, उन्होंने कहा कि मेरा बेटा शराब पी ही नहीं सकता तुमने किसी और को देखा होगा| तुम मेरे बेटे पर गलत दोष लगा रहे हो|

कुछ समय बाद फिर उस व्यक्ति ने उसी लड़के को किसी दुसरे होटल में शराब पीते देखा तो उसने वापस आ कर उसके पिता जी से कहा कि मैंने निश्चित रूप से तुम्हारे बेटे को ही होटल में शराब पीते हुए देखा है तो उसके पिता जी ने कहा कि देखो भाई जब तक मैं अपनी आँखों से न देख लूँ तब तक मुझे विश्वास नहीं होगा|

उनकी ऐसी बातें सुन कर वह व्यक्ति अपने को अपमानित समझ गुस्से से कहने लगा कि आँखों से देखकर तो विश्वास करोगे? पिता जी के हाँ कहने पर उसने कहा कि तुम्हारे बेटे को शराब पीते देखकर मैं तुम्हे फोन करूँगा मेरे बताये पते पर तुम्हे तुरंत पहुंचना होगा| ऐसा कह कर वह व्यक्ति चला गया

एक दिन फिर उस लड़के को एक होटल में शराब पीते देख कर उस व्यक्ति ने लड़के के पिता जी को सूचित कर अपने बताये पते पर बुला लिया|

लड़के ने अपने पिता जी को होटल में प्रवेश करते हुए देख लिया| उसने देखा कि उसका पडोसी उसके बारे में पिता जी को बता रहा है तो उसने तुरंत मेज पर रक्खी हुई माचिस को अपनी और पिता जी की आँखों के बीच इस प्रकार से लगायी कि दोनों की आंखे एक दुसरे से न टकराएँ और आँखों की शर्म बनी रहे|

पिता जी ने अपने पुत्र की भावनाओं को समझ कर उधर देखना बंद कर दिया| उसी समय उसके पडोसी ने कहा कि देखो उस मेज पर बैठा तुम्हारा बेटा शराब पी रहा है| इस पर तुरंत उसके पिता जी ने कहा कि उस मेज पर तो कोई शर्मदार व्यक्ति बैठा है जो हमें देखकर अपनी आँखों के आगे माचिस लगा कर अपने आप को छिपा रहा है इसका मतलब है कि अभी उसकी आँखों में शर्म बाकी है अब हमें चलना चाहिए|

अपने पिता जी की बातें सुनकर वह बहुत प्रभावित हुआ| इस घटना से उसकी आँखें शर्म से झुक गई और उसने शराब पीनी छोड़ दी|

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