Sunday, October 13, 2013

भय का भुत

मान्यता के अनुसार संसार में भुत प्रेत का अस्तित्व होता है| कभी कभी वह प्राणी को कष्ट भी देने लगते हैं| परन्तु कभी कभी किसी डर या भ्रान्तिवश भी एक साधारण सी घटना को व्यक्ति भुत समझ कर डर जाता है|

इस विषय में मैं एक घटना का वर्णन करता हूँ| एक व्यक्ति अपनी पत्नि व् बच्चों के साथ एक मकान में रहता था| एक दिन उस व्यक्ति का भाई अपने एक मोलवी मित्र के साथ उनके यहाँ आये और रात्रि विश्राम किया|

मध्य रात्रि में अचानक उसके भाई की तबियत ख़राब हो गयी| जिसके कारण वह जोर जोर से बडबड़ाने लगे| जोर से बडबडाने  के कारण परिवार के सभी सदस्य व् मोलवी जी भी जाग गए| मोलवी जी ने कहा कि इस मकान में कोई प्रेत आत्मा (भुत )निवास करती है जो इन्हे परेशान कर रही है| मैं उस भुत को अभी भगाता हूँ ऐसा कह कर मोलवी कुछ मन्त्र कहते हुए उनके ऊपर पानी के छींटे मारने लगा| कुछ समय पश्चात् उनका बडबडाना शांत हो गया और वह ठीक हो गए|

अगले दिन उनका भाई व् मोलवी तो अपने घर चले गए परन्तु वह और उसका परिवार भुत प्रेत के कारण बहुत डर डर कर रहने लगे, डर के कारण उनका दिन का चैन और रात की नींद ख़राब हो गयी|

एक रात वह परिवार सहित मकान के बरामदे में सोने के लिए लेटे थे कि अचानक बहुत तेज आंधी तूफ़ान आया, बिजली चली जाने से अँधेरा हो गया और हल्की हल्की बारिस होने लगी|

ऐसे वातावरण में उन्हें डर लग रहा था अचानक उन्हें ऐसा प्रतीत हुआ कि आँगन की दीवार के पास कोई आदमी है जो शनै शनै बडा होने लगा तो वह परिवार भुत समझ कर बहुत जोर जोर से चिल्लाने लगा| उसी समय बिजली आने से रौशनी हो गयी उन्होंने देखा कि दीवार पर हल्की हल्की बूंदे पड़ने के कारण एक आक्रति सी बन रही थी जो आहिस्ता आहिस्ता बड़ी होकर पूरी दीवार गीली हो गयी जिसे देखकर उनके मन से भुत का डर दूर हो गया|

कभी कभी मनुष्य डर के कारण भी भय के भुत का शिकार हो जाता है| वह परिवार पहले से ही भुत प्रेत के डर से ग्रसित था जिसके कारण दीवार पर पानी के फैलने को ही वह भुत प्रेत समझ बैठा और डर गया|  

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