Thursday, October 17, 2013

चमड़े का जूता|

एक देश के राजा ने अपने मंत्रियों से अपनी प्रजा के सुख दुःख के विषय में पूछा| मंत्रियों ने अपने अपने हिसाब से बताया कि प्रजा ठीक प्रकार से जीवन व्यतीत कर रही है| राजा मंत्रियों की बातो से संतुस्ट नहीं हुए|

राजा ने विचार किया कि मुझे खुद प्रजा के बीच जा कर उनके बारे में जानना चाहिए| राजा भेष बदल कर अपने राज्य के गाँव गाँव और शहर शहर गए|

राजा ने देखा कि उसके राज्य में प्रत्येक व्यक्ति हंसी ख़ुशी के साथ रह रहा है प्रत्येक व्यक्ति के पास रहने, खाने और पहनने का उचित प्रबंध है| इसके साथ साथ राजा ने देखा कि लोग नंगे पैरों से सड़क पर घूमते हैं जिसके कारण सड़क पर पड़े छोटे छोटे कंकर पत्थर चुभने के कारण उनके पैरों में घाव हो जाते हैं| ऐसा देख कर राजा को बहुत दुःख हुआ|

राजा ने वापस आकर मंत्रियों को आदेश दिया कि राज्य की सभी सड़कों को चमड़े से ढक दिया जाये ताकि लोगों को नंगे पैर सड़क पर चलने से कोई घाव न हो|

राजा की बातें सुनकर सभी मंत्रियों ने मंत्रणा की| उन्होंने विचार किया कि राज्य की सभी सडकों को चमड़े से ढकने में राजकोष का पूरा धन खर्च करने पर भी यह कार्य पूर्ण नहीं होगा|

सभी मंत्री राजा के पास पहुंचे और राजकोष की स्तिथि से अवगत कराया| तभी एक वरिष्ठ मंत्री ने राजा से  निवेदन किया कि महाराज यदि राज्य के व्यक्तियों के पैरों पर चमड़ा चढवा दिया जाए तो लोगों के पैरों में जख्म भी नहीं होंगे और धन भी अधिक नहीं लगेगा| उसकी सलाह सबको अच्छी लगी और राजा के द्वारा आदेश जारी कर दिया गया|

ऐसा मानते हैं कि उसी समय से चमड़े के जूते पहनने का प्रचलन शुरू हुआ|

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