Sunday, October 6, 2013

वस्तु की उपयोगिता|

एक बार भगवान बुद्ध अपने एक शिष्य के साथ दुसरे शिष्य के यहाँ पहुंचे| उन्होंने देखा कि उनका शिष्य बहुत पुराने कपडे पहने हुए है तो उन्होंने अपने दुसरे शिष्य से उसे नए कपडे पहनने हेतू दिला दिए और आगे चले
गए| कुछ समय बाद वापस लौटते हुए फिर भगवान बुद्ध अपने उसी शिष्य के घर पहुंचे|

उन्होंने शिष्य से प्रश्न किया कि तुमने पुराने वस्त्रों का क्या किया?शिष्य ने उत्तर दिया कि पुराने वश्त्र ओढने के काम आये|

बुद्ध जी ने प्रशन किया कि ओढने वाले वस्त्रों का क्या किया? उसने उत्तर दिया कि उनको फाड़ कर रसोई में चूल्हे से पतीले उतारने के काम लिया|

भगवान बुद्ध जी ने फिर प्रश्न किया:-रसोई के पुराने पतीले उतारने वाले वश्त्रों का क्या किया?उसने उत्तर दिया कि महाराज उन वस्त्रों से खाना बनाने के बाद रसोई को साफ करने के काम में प्रयोग किये|

उन्होंने फिर प्रश्न किया कि पुराने रसोई साफ करने वाले वस्त्रों का क्या किया?तो उसने कहा कि हे प्रभु वें वश्त्र तो फट कर तार तार हो गये थे इसलिए उन वस्त्रों की बत्ती बनाई है जो आपके सामने जले दीपक में लगी है|

अपने सभी प्रश्नों के उत्तर से भगवान बुद्ध बहुत खुश हुए और कहा कि संसार में कोई भी वस्तु खराब नहीं होती है|समयानुसार उस वस्तु की उपयोगिता बदल जाती है|



 

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